बीरा थारी चुनड़ली रा चटका है दिन चार,
पुराणी पड़गी चुनड़ी......
आंखों से सुजे नहीं रे सुणे ना दोनु कान,
दांत बत्तीसी गिर पड़ी है बिगड़ी चुनड़ली री शान,
बीरा थारी चुनडली रा चटका है दिन चार,
पुराणी पड़गी चुनड़ी.......
सल पड़या शरीर में रे अब तो भज भगवान,
रंग गुलाबी उड़ गयो बिगड़ी चुनड़ली री सान,
बीरा थारी चुनडली रा चटका है दिन चार,
पुराणी पड़गी चुनड़ी......
सुध बुध भुलियो शरीर को रे थोड़ो भावे धान,
डगमग डगमग नाड़ चाले अब तू भज भगवान,
बीरा थारी चुनडली रा चटका है दिन चार,
पुराणी पड़गी चुनड़ी......
खाले पिले ओर खर्च ले कर चुनड़ी रो मान,
प्रताप गिरी यू कहते हैं रखो गुरु चरणों में ध्यान,
बीरा थारी चुनडली रा चटका है दिन चार,
पुराणी पड़गी चुनड़ी..........