बाबा की चिट्ठी आई संदेसा ये है लाइ
मिलने को तड़पे वो भी प्रेमी की याद सताई
बाबा की चिट्ठी आई .................
पहले तो सबको जय श्री श्याम लिखा है
खबरे पूछी जी का हाल लिखा है
अब मिलना जल्दी होगा कहके ये धीर बंधाई
मिलने को तड़पे वो भी प्रेमी की याद सताई
बाबा की चिट्ठी आई .................
कैसा नज़र होगा अब खाटू धाम में
जी भर के बातें होंगी आमने सामने
घड़ियाँ भी काम पद जाएँ बातें हैं इतनी सारी
मिलने को तड़पे वो भी प्रेमी की याद सताई
बाबा की चिट्ठी आई .................
लाडो फिर कीर्तन होगा ग्यारस की रात का
जैकारा खूब लगेगा बाबा के नाम का
इस दिन की ही चाहत में कितनी हैं रात बिताई
मिलने को तड़पे वो भी प्रेमी की याद सताई
बाबा की चिट्ठी आई .................