बाबा श्याम की नज़र का हुआ है कर्म,
मिला का दिल को सकूं हुए दूर सारे गम,
मेरी ख़ुशी का ठिकाना मेरे श्याम के चरण,
मिला दिल को सकूं हुए दूर सारे गम,
मैं तो कुछ भी कहो न अपने दिल की अर्जियां,
है चलती मेरे ऊपरतो इनकी ही मार्जियाँ,
सच कहता हु बात ये खा के मैं कसम,
मिला दिल को सकूं हुए दूर सारे गम,
बिन बाबा इक पल रहा नहीं जाये,
दूर रहना बाबा से अब सहा नहीं जाये,
सँवारे के ही दर पे तो निकले दम,
मिला दिल को सकूं हुए दूर सारे गम,
मेरे छोटे से घर में श्याम का अश्याना,
कोई पैदा नहीं है दोनों के दरमियाँ,
चोखानी को बाबा कभी देते नहीं काम,
शेलेंडर को बाबा कभी देते नहीं काम,
मिला का दिल को सकूं हुए दूर सारे गम,