जरा घुमने तो चित्रकूट चलिए

जरा घुमने तो चित्रकूट चलिए ये पावन बड़ा ही शुभ धाम है
तेरे संकट सभी टल जायंगे वाहा रेह्ते प्रभु श्री राम है
जरा घुमने तो चित्रकूट चलिए.......

चित्र कूट मन भावन है भूमि राम सिया ने वास किया
तुलसी दास को इसी जगह पे प्रभु राम का दर्श हुआ
मंदाकनी की बेहती याहा धार है याहा नाते सभी नर नार है
पूरण होगी तेरी भी मनोकामना होते पूरण याहा सभी के काम है
जरा घुमने तो चित्रकूट चलिए

मंत ध्यंग शिव मंदिर है प्यारा बर्मा ने जिसको बनाया है,
तीन लोक में मंदिर ये प्यारा राम के मन भाया है,
याहा करते प्रबु जी निवास है याहा राम गुन्गाये तुलसी दास है
आके लेके आरती राम की होती आरती याहा सुबह शाम है
जरा घुमने तो चित्रकूट चलिए

वास किया सादे ग्यारा वर्ष तक राम ने चित्र कूट में,
पर्ण कुटी में लखन सिया संग प्रभु रहे इस कूट में
करले कामरगिरी की परिकर्मा मैया कामना की बोल जय जय कार है
कहे धामा पंडित राम अवतार रे तेरा कोडी लगे न शलाव है
जरा घुमने तो चित्रकूट चलिए
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