चिट्ठी जरा कान्हा जी के नाम लिख दे

हाल मेरे दिल का तमाम लिख दे
चिट्ठी जरा कान्हा जी के नाम लिख दे

लिख दे कि कान्हा मेरा जिया बेकरार है
अंखियों में भीगी भीगी  की कजरे की धार है
होती नहीं सुबह से शाम लिख दे
चिट्ठी  जरा कान्हा जी के नाम लिख दे

मुझको सताया तूने सबसे कहूंगी
एक दिन गिन-गिन बदले में लूंगी बदले में लूंगी
नाम तेरा होगा बदनाम लिख दे
चिट्ठी जरा कान्हा जी के नाम लिख दे

जाके सांवरा को तेरी याद भी ना आई है
कहता जमाना तेरा कान्हा हरजाई है
मेरा उसे फिर भी प्रणाम लिख दे
चिट्ठी जरा कान्हा जी के नाम लिख दे

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by Rahul Singh

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