सिया राम तुम्हारे चरणों में यदि प्यार किसी का हो जाए।
दो चारों की तो बात ही क्या संसार उसी का हो जाए।।
शबरी ने कहां थे वेद पढ़े गणिका कब यज्ञ कराती थीं।
जिसमें छल द्वेष का लेश नहीं ये मुरार उसी का हो जाए।।
रावण ने प्रभु से बैर किया अब तक भी जलाया जाता है।
बन भक्त विभीषण शरण पड़े घर बार उसी का हो जाए।।
प्रहलाद तो छोटा बालक था पर प्यार किया परमेश्वर से।
संसार का होकर क्या लेना इक बार उसी का हो जाए।।
संगीत और स्वर ------राजकुमार भारद्वाज
मो। 90 3458 1000