लवकुश ने व्यथा जब सुनाई

लवकुश ने व्यथा जब सुनाई
रो पड़े राम रघुराई,
रो पड़े भरत लक्ष्मण ,आगई सबको रूलाई
लवकुश ने व्यथा जब सुनाई रो पड़े राम रघुराई…….

दर दर भटके तपोवन,महलो की राज कुमारी,
कुटिया में रहती वाल्मीकिके सीता है मा हमारी,
सीता मैया को बोलो रघुराई किस बात की सजा सुनाई.....

वन भटके लकड़ी बटोरन ,पनिया भरन को जाइ,
चूल्हे के धुंआ के संग ,सिया मैया रोटी बनाई,
कैसे बताऊ, मेरे रघुराई रातरात मैया को नींद न आई….
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