सुन बाबा भोले भाले

मेरी अर्ज सुनो त्रिपुरारी मैं गाऊ महिमा थारी
सुन बाबा भोले भाले ले लाज राख भंडारी ,

तेरी नंदी की असवारी और बैठे है सिंह शाळा
इक हाथ में डमरू साजे दूजे त्रिशूल विशाला
थारे सिर पे जटा निराली जी
और जटा में गंग विराजे
है गल में नाग लपेटे मस्तक पर चंदा साजे
झुक ते राजे महा राजे
है भोली सूरत प्यारी
सुन बाबा भोले भाले ले लाज राख भंडारी ,

देते वरदान सभी को जी चाहे कपटी हो या भोला
न कोई भी तरसाया न ढोलेया ओला सोला
तेरे मन की चाही पल में ना कोई भी तरसाया
बांजो को लाल दिए ही निर्धन को धन और माया,
संग रेहती गोरा मैया है गणपति की महतारी
सुन बाबा भोले भाले ले लाज राख भंडारी ,

मैं करू गुणगान तुम्हारा जी
मेरी रखियो लाज सभा में
भोले नाम की माला जपता तेरा नाम लू बैठ धरा में
दिया आशीर्वाद गुरु जी ने कर दिया चाँदडा घट में
कहे तेज पाल रेहते है गुरु मेरे पास ब्रिज में
गलती की माफ़ी दे दे जी जितनी भी सरदारी
सुन बाबा भोले भाले ले लाज राख भंडारी ,
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