नाम ले लो शिव का मिटे पाप सारे
अजब रूप धारे सिवजी हमारे
वेद नहीं जाने तेरे खेल न्यारे
अजब रूप धारे सिवजी हमारे
नीले नीले कंठमें सर्पो की माला है
अंग में भभूति ओढ़े मृगछाला है
सिवकी जटाओं में गंगा पधारे
अजब रूप धारे सिवजी हमारे
कभी कभी पहन के चले मुंडमाला है
एक हाथ डमरु है और दूसरे में माला है
पिये भंग निस दिन एे भोला हमारे
माथे पे चंद्रमा करता उजाला है
बाटते है अमृत पीते विस का प्याला है
होते दरसन उनको जो मन से पुकारे
Yogesh Tiwary