सरस्वती वंदना गीत

वर दे वीणावादिनि वर दे ,
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव भारत में भर दे,

काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे  

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे
वर दे, वीणावादिनि वर दे।


या कुन्देन्दुतुषारहारधवला  या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा

सरस्वती मया दृष्टा, वीणा पुस्तक धारणी,
हंस वाहिनी समयुक्ता, विद्या दान करो विहम,

✓ ललित गेरा झज्जर
 (SLG Musician)
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