पलक पाँवड़े बिछाए हैं बैठे
मैया आ जाओ।
तरस रही हैं दर्शन को अंखियाँ
दर्श दिखा जाओ।
तम छाया है घोर घनेरा
विकट संकट ने है घेरा
करने दूर अँधियारा मैया
मन में जोत जगा जाओ।
तरस रही हैं दर्शन को अंखियाँ
दर्श दिखा जाओ।
घेरे हुए है पापों का घेरा
मन में है दुःखों का डेरा
करने को उपकार मैया
करुणा बरसा जाओ।
पलक पाँवड़े बिछाए हैं बैठे
मैया आ जाओ।
तरस रही हैं दर्शन को अंखियाँ
दर्श दिखा जाओ।