श्याम को घोरलियो श्रृग़ार, ऐंके हीरो चमके भाल
ऐका घुंघरवाला बाल श्याम मने प्यरों लागे
कटी पर लटके लट नगण सी बड़ो मनभावण लागे,
श्याम का तीखा-तीखा नैण, लेग्या म्हारे मन का चैन
नैणा नैण मिलाकर सेन यो कामनगारों लागे
कटी पर लटके ...
श्याम की मिठी सी मुस्कान, वेणु करें अधर रसपान
छेदे रसभरी मिठी तान, रसीक रसवणों लागे
कटी पर लटके ...
बागों पहर्यो घेर-घूमेर , जमें अस्सिकलीरो घेर
अंतर छिड़के चारों मेर, सेठ धनवाणों लागे
कटी पर लटके ...
सरिता जो भी आवे हार, दैरी करे ना यो सरकार
हो थामे खुद हाथाँ पतवार, श्याम दिलवालों लागे
कटी पर लटके ...