प्रभु मुझ से पूछो मैं क्या चाहता हूँ,
मैं तुझ से तुझे माँगना चाहता हूँ ।
मुझे खाना पीना पहनना दिया है ।
बहुत घुमने को जमाना दिया है ॥
बहलने को हर इक बहाना दिया है ।
मैं अब तुझ से ही बहलना चाहता हूँ ॥
हर एक रूह में तेरा चमत्कार देखा।
बनाया हुआ तेरा संसार देखा ॥
कई जनम लेकर मैं हर बार देखा ।
मैं अब तुझ को ही देखना चाहता हूँ ॥
तुझे गणिका का कौन सा भाव भाया ।
था सदने की किस बात पर रहम आया ॥
अजामिल के तू किस इशारे पे आया ।
मैं यह राज़ अब जानना चाहता हूँ ॥
गुनाहिओ को होता है दीदार तेरा ।
फिर तो जकीनन ही नंबर है मेरा ॥
बुराईयो का है मेरे दिल में बसेरा ।
मैं हर जुलम की अब सजा चाहता हूँ ॥