है अभी वक्त पर याद भगवान को,
तेरा बिगड़ा मुकद्दर जाएगा,
रात दिन जिन की खातिर कमाता है तू,
भूखा रहकर भी जिनको खिलाता है तू,
एक पल भी गवारा करेंगे नहीं,
लाश को तेरी जिस रोज मर जाएगा,
है अभी वक्त......
तू सुबह शाम दौलत इकट्ठा करें,
खून गैरों का पीकर तिजोरी भरे,
तेरी किस्मत में दो गज कफन ही लिखा,
बाकी धम मॉल दुनिया में रह जाएगा,
है अभी वक्त......
ऐसो इशरत में इतना क्यों मगरूर है,
और नशे में जवानी के क्यों चूर है,
तेरे सिर पर बुढ़ापा खड़ा सामने,
एक दिन यह नशा भी उतर जाएगा,
है अभी वक्त.....
ऐसो इशरत में तेरी जवानी गई,
और बुढ़ापे में टेढ़ी कमर हो गई,
उस घड़ी में करेगा क्या दान और भजन,
जब यह पानी ही सर से उतर जाएगा,
है अभी वक्त.....
ख्वाहिश दिल में कभी भी ना आए तेरे,
और चिंता ना मन को सताए तेरी,
काम आएगा तेरे परलोक में,
जो भी नेकी की दुनिया में कर जाएगा,
है अभी वक्त कर याद भगवान को,
मेरा बिगड़ा मुकद्दर संभल जाएगा......