मोरे कान्हा तोरी अँखियाँ जादू भरी
मोरे कान्हा तोरी अँखियाँ जादू भरी,
जब तें लड़ीे निगोड़ी मोरी अँखियाँ,
बेसुध विह्वल भई बाँवरी,
मोरे कान्हा तोरी.........
बहुत सतावत मन तड़पावत,
चहुँ दिसि पाछे पाछे ऑन परी,
मोरे कान्हा तोरी......
प्रेम सुधा रस भरी तोरे अंखियन,
बलि बलि जाऊं तोरे शरण परी,
मोरे कान्हा तोरी....
अंखियन बान दास भई घायल,
कलि कलुष भव सिंधु तरी,
मोरे कान्हा तोरी.........
रचना आभार: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी