राती सुपने च , दिते सी दीदार माता ने...
चलो चलिए बुलाया , दरबार माता ने ॥
सुपने च जिथे ज्योति सी जगाइयाँ ।
उस था , ते चड़ियाँ सी नाम खुमारियाँ॥
मेनू रज कर दिते सी दुलार माता ने ॥
पीपली दे पते उते ज्योतां सी जगाइयाँ ।
नैना देवी पिंगा जुटे , रोनका लाइयाँ॥
मेरे सिर हथ रख , किता पियार माता ने ॥
चलो चलिए बुलाया , दरबार माता ने ॥