जा टूट भरम के ताले तू पूंजी ला गुरु ज्ञान की ।
जा टूट भरम के ताले तू पूंजी ला गुरु ज्ञान की।।
सच्चे मन से ध्यान धरे तू कोन बतावे घाट तने ।
कर बुद्धि की सुधि मिलजा ईश्वर यो कदे घाट तने ।
तू सूरत भजन में लाले फिर मेर करे भगवान की ।
जा टूट भरम के ..............................ज्ञान की ॥
जिव सताना झुलम कमान के मिलजा इंसान तने ।
दिन रात कमाया हाथ न आया भजा नहीं भगवान् तने।
यमदूत आवे विकरालै तने चिंता हो जा ज्ञान की ।
जा टूट भरम के .............................ज्ञान की॥
फिर पाछे पछतावे गा मैने क्यू ना अच्छा करम करा।
सुते बैठे हो जब चिड़िया चुगले खेत तेरा ।
यमदूत आवे विकराले तने हो जा चिता ज्ञान की।
जा टूट भरम के ..............................ज्ञान की ॥
गुरु तार दे पार बन्दे चरणा के मा लागे न।
फेर दुबारा टाइम मिल ना वक्त परा हैं जागे न।
कृष्ण लाल गिरावड़ आले कर सेवा चंदरभान की ।
जा टूट भरम के ..........................ज्ञान की ॥
‘‘ जा टूट भरम के ताले तू पूंजी ला गुरु ’’
स्वर -‘‘ भगत रामनिवास ’’
लेखक - ‘‘राम किशन वशिष्ट ’’
पोस्ट करने वाले --- ‘‘भगत अनिल भारद्वाज’’