भजन के शब्द :-
किस बात की परवाह है, गुरुदेव के दर पे ।
जिसने भी सर झुकाया, श्री गुरुदेव के दर पे ।।
बस चाह है बलि जाऊँ मैं, अरविन्द से पद पे ।
दुःख दर्द मिट जाते हैं, जब हाथ हो सर पे ।।
किस बात की.....
नचाती खूब माया थी, अविद्या फाँस ले करके ।
सताती मोह निद्रा थी, अँधेरी रात बन करके ।।
तम अंध सब मिटा है, श्री गुरुदेव के दर पे ।
किस बात की परवाह है, गुरुदेव के दर पे ।।
कस्ती डगमगा रही थी, मझधार में मेरी ।
सहारा कुछ न दिखता था, टूटी पतवार थी मेरी ।।
गुरु माझी बनके आये, लाये नाव को तट पे ।
किस बात की परवाह है, गुरुदेव के दर पे ।।
दिवाकर बनके सद्गुरु मिल गये, अँधियार को हरने ।
उर में भक्ति की मणिदीप भरे, उजियार को करने ।।
पहुँचा दिया है कान्त को, श्रीकान्त के दर पे ।
किस बात की परवाह है, गुरुदेव के दर पे ।।