भोले शंकर जी भव से मुझे तार मुझे अपनी शरण दे अपना प्यार दे,
अपनी शरण दे भोले अपना प्यार दे
शंकर जी भव से मुझे तार मुझे अपनी शरण दे अपना प्यार दे,
भीड़ है पड़ी दर्श को खड़ी देर न कर खो न सबर दर्श तू अब दिखा
भगतो को तू भोले अभय दान दे
शंकर जी भव से मुझे तार मुझे अपनी शरण दे अपना प्यार दे,
नाम है बड़ा तेरे धाम का दुखी जनों के तू सभी दुखड़े काट ता,
आंसू सभी के पोंचे खुशिया बाँट दा बिना मोल के तू भोले बिना धाम के
शंकर जी भव से मुझे तार मुझे अपनी शरण दे अपना प्यार दे,
पा लिया तुझे जिस प्राणी ने जन्म मरन के बंधन मुकट वो हो गया,
मोह मया कुछ भी नही नाम में खो गया
भगतो को तू ऐसा वरदान दे
शंकर जी भव से मुझे तार मुझे अपनी शरण दे अपना प्यार दे,