मुकुट सिर मोर का, मेरे चित चोर का ।
दो नैना सरकार के, कटीले हैं कटार से ॥
कमल लज्जाये तेरे नैनो को देख के ।
भूली घटाए तेरी कजरे की रेख पे ।
यह मुखड़ा निहार के, सो चाँद गए हार के,
दो नैना सरकार के, कटीले हैं कटार से ॥
कुर्बान जाऊं तेरी बांकी अदाओं पे ।
पास मेरे आजा तोहे भर मैं भर लूँ मैं बाहों में ।
जमाने को विसार के, दिलो जान टोपे वार के,
दो नैना सरकार के, कटीले हैं कटार से ॥
रमण बिहारी नहीं तुलना नहीं तुम्हारी ।
तुझ सा ना पहले कोई ना देखा अगाडी ।
दीवानों ने विचार के, कहा यह पुकार के,
दो नैना सरकार के, कटीले हैं कटार से ॥