दरबार ये दिलकश है
चोखट तेरी प्यारी है
फिर क्यों न मचल जाएँ
सौ जान से वारि है
नक्शा तेरा दिलकश है
सूरत तेरी प्यारी है
जिसने भी तुम्हें देखा
सौ जान से वारि है
साये में तुम्हारे ही किस्मत ये हमारी है
ए कन्हैया
जहाँ तुम हो
वहां फिर चांदनी को
कौन पूछेगा
तेरा दर हो
तो जन्नत की
गली को कौन पूछेगा
फरिश्तो को न
बतलाना
कहीं रहे गुंजत अपनी
गुनाहगारो
को इस दर पे
भला फिर
कौन पूछेगा
साये में तुम्हारे ही किस्मत ये हमारी है
किस्मत ये हमारी है
क़ुर्बान दिलो जान हम
क्या शान तुम्हारी है
फिर क्यों न मचल जाएँ
सौ जान से वारि है
क्या पेश करूँ तुमको क्या चीज़ हमारी है
ये दिल भी तुम्हारा है ये जान भी तुम्हारी है
जिसने भी तुम्हें देखा
सौ जान से वारि है
ऐ प्यारे करम कर दे इस हाल परेशां पे
ऐ कन्हैया
अगर तेरे दर पे सुनाई ना होती
तोह फलकट यहाँ इतनी आई न होती
न मुश्किल खुशा कोई कहता यहाँ पे
अगर सबकी बिगड़ी बनायीं ना होती
कोई तेरे दर से सवाली फिरा न
सवाली जो आया वो खली फिर ना
अगर एक भी खाली जाता यहाँ से
तोह किसी ने भी झोली फैलाई ना होती
कोई तेरे दर पे दो आंशूं बहाये
कोई फूल श्रद्धा के दो चढ़ाये
बुरे वक़्त पे उसने ख़ज़ाने लुटाए
उससे रैंक से सहनशान बनाये
ऐ प्यारे करम कर दे इस हाल परेशां पे
इस हाल परेशां पे
तुमने तोह सदा सबकी तक़दीर सँवारी है
फिर क्यों न मचल जाएँ
सौ जान से वारि है
कर न जुड्डा दिल से हसरत ये हमारी है
हसरत ये हमारी है
हमने तेरे टुकड़ों पैर साड़ी उम्र गुजारी है
फिर क्यों न मचल जाएँ
सौ जान से वारि है