नंदी भरंगी नाच रहे देखो गनपत पधारे
गनपत पधारे गोरी ललना पधारे
शिव घन मिठाई बाँट रहो देखो गनपत पधारे
शिव ने घज का शीश लगाया
प्रथम पूज तुम को बनवाया
घनो का इश बनाये रहे देखो गूंजे जयकारे
नंदी भरंगी नाच रहे देखो गनपत पधारे
ब्रह्मा ने वेद दिए ज्ञान भरमानी
लक्ष्मी लुटाई धन और धानी इन्दर एह रावत लाये रहे और वज्र भी लाये
नंदी भरंगी नाच रहे देखो गनपत पधारे
शिव गोरा के लाल हो प्यारे
भव से देवा पार उतारे चन्दन शीश झुकाए रहे
देखो चरणों में थारे
नंदी भरंगी नाच रहे देखो गनपत पधारे