महांकाल को मनायेगे, भोलेनाथ को मनायेगे ,
महांकाल को मनायेगे, भोलेनाथ को मनायेगे ,
झूमो नाचों आओ, मिल गाओ रे भक्तो,
महिमा हम तो उनकी गायेगे , भोलेनाथ को मनायेगे,
महांकाल को मनायेगे, भोलेनाथ को मनायेगे,
मस्तक पर चंदा उनके हें साजे , उनके हें साजे, उनके हें साजे ,
गले में सर्पो की माला विराजे , माला बिराजे, माला बिराजे ,
जटाओ से गंगा बहती है कल-कल , देवपित्रो को मुक्त करती है हर-पल ,
ऐसे भोले को मनायेगे, महांकाल को मनायेगे,
महांकाल को मनायेगे, भोलेनाथ को मनायेगे
कैलाश पर्वत पर बैठे हें भोले, बैठे हें भोले, बैठे हें भोले ,
मृगो की छाला को, रहते है ओढ़े , रहते है ओढ़े, रहते है ओढ़े,
तन पर भस्मी रमाये हुए है , ध्यान मुद्रा वो लगाये हुए है ,
गुण उनके हम तो गायेगे, भोलेनाथ को मनायेगे,
महांकाल को मनायेगे, भोलेनाथ को मनायेगे ,
उज्जैयनी में रहते, बाबा महांकाल ,मेरे महांकाल, बाबा महांकाल ,
माता शक्ति संग भैरव उनके साथ ,शक्ति भी साथ, भैरव भी साथ,
नर नारी, जो कोई, आये यहाँ पर , मन इच्छा पूरी हो, जाये यहाँ पर,
सत्य’ कहे शिव को ध्यायेगे, भोलेनाथ को मनायेगे,
महांकाल को मनायेगे, भोलेनाथ को मनायेगे ,
रचियता-सतीश गोथरवाल ’सत्य’
स्वर - हर्षिता कोंकने
संगीत - विजय गोथरवाल