गौरा गणपत तेरे संग विराजे,
अद्भुत छवि है साजे,
गौरा गणपत तेरे संग विराजे
गंगा जल भर के कावड लाऊ पूरी श्रधा से भोले तुम्हे नेहलाऊ
भोले शंकर तुम देव हो साखे
अद्भुत छवि है साजे,...
सनान करा के तुम को सजाऊ इतर अधीर भोले तुम को लगाऊ,
और चडाऊ बेल और पाते,
अद्भुत छवि है साजे,
मेरे जीवन की ये एक लगन है
रात दिन तेरी पूजा मेरा धर्मं है
चरणों की धूलि से तिलक लगादे,
अद्भुत छवि है साजे,