जरा पालकी सजा दो गजानंद जा रहे हैं,
खुशियां लुटा के सबको निजधाम जा रहे हैं....
तेरी ज्योत में जगाऊं और आरती उतारु,
नैनों में नीर भरके छवि दिल में बसा रहे हैं,
जरा पालकी सजा दो.....
तेरे मस्तक तिलक लगाऊं श्रंगार सब कराऊ,
लड्डुओं का भोग लगाकर डोली में बिठा रहे हैं,
जरा पालकी सजा दो.....
कोई ढोल नगाड़े बजाए कोई तालियां बजाए,
भक्तों की भीड़ भारी जयकारे लगा रहे हैं,
जरा पालकी सजा दो.....
खुशियों का भर खजाना गजानंद जल्दी आना,
तेरी आस में यह जीवन यूं ही बता रहे हैं,
जरा पालकी सजा दो.....
तुम दाता हम पुजारी तुम राजा हम भिखारी,
रो रो के दिल पुकारे गजानंद जा रहे हैं,
जरा पालकी सजा दो.....