करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं, स्वीकार करो माँ,
मझधार में मैं अटकी, बेडा पार करो माँ।
हे माँ संतोषी, माँ संतोषी।
करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं.....
बैठी हूँ बड़ी आशा से तुम्हारे दरबार में,
क्यूँ रोए तुम्हारी बेटी इस निर्दयी संसार में।
पलटादो मेरी भी किस्मत, चमत्कार करो माँ,
मझधार में मैं अटकी, बेड़ा पार करो माँ।
मेरे लिए तो बंद है दुनियाँ की सब राहें,
कल्याण मेरा हो सकता है, माँ आप जो चाहें।
चिंता की आग से मेरा उद्धार करो माँ,
मझधार में मैं अटकी, बेड़ा पार करो माँ।
दुर्भाग्य की दीवार को तुम आज हटा दो,
मातेश्वरी वापिस मेरे सुहाग लौटा दो।
इस अभागिनी नारी से कुछ प्यार करो माँ,
मझधार में मैं अटकी, बेड़ा पार करो माँ।