कन्हैया ओ कन्हैया कन्हैया,
नहीं मेरा कोई भाई,
तू ही बन जा मेरा भैया,
कन्हैया, कन्हैया ओ कन्हैयां कन्हैया.......
बचपन से ही तुझे मानती आई अपना भैया,
जबसे माँ ने मुझे कहा तेरा भाई कृष्ण कन्हैया....-2
गाय चरैया बंसी बजैया जो है रास रचैया,
कन्हैया, कन्हैया ओ कन्हैयां........
बात जोहती रही है तेरी जाने कितनी रातों,
आ राखी बंधवाने भैया इस बहना के हाथों....-2
भूखी प्यासी बैठी भैया लेने तेरी बलइयां,
कन्हैया, कन्हैया ओ कन्हैयां.......
कब से स्वप्न संजोया भैया इक दिन तू आएगा,
बंधवाकर मुझसे राखी माखन मिश्री खायेगा....-2
मैं भी अपनी राखी देखूं भैया की कलैयां,
कन्हैया, कन्हैया ओ कन्हैयां......
कलयुग में ना भाई कोई कान्हा तेरे जैसा,
लाज निभा सकता राखी की तू ही है एक ऐसा....-2
तू ही पार लगाने वाला मेरी जीवन नैया,
कन्हैया, कन्हैया ओ कन्हैयां.......