वाह मेरे कृष्णा तेरी कुदरत, ते तेरिया बेपरवहिया
जेरहिया गल्ला मेरे चित्त न चेते, आज ओहि देखनी आया
पई वक़्त दी कैसी मैनू मार वे, पांडव जूए विच गए मैनू हार वे ।
लाज रख ले तू मुरली वालेया, घिरी गौ अज्ज शेरा विचकार वे ॥
वाला तो मैनू फड़के दुःशासन विच सभा ले आया वे,
दुर्योधन ने चीरहरण दा अज्ज है हुकम सुनाया वे ।
पंजो पांडो योद्धे बड़े बलधार वे, किवे बैठे अज्ज होके लाचार वे,
सर भीष्म पितामह ने झुका लेया, खोरे करदे की सोच विचार वे ॥
लाज रख ले तू मुरली वालेया...
राज पाठ सब हर गए पांडव, किंज हामी भर जावणगे,
जेकर तेरी मेहर न होई, इज़्ज़त वी हर जावणगे ।
खेडा खेड गया शूकनी मक्कार वे, पैगई कुंजा ताहि बाजा दी डार वे ,
रेहा गोपिया दे नाल जे तू खेड दा, मेरा लुट्या जाओ संसार वे ॥
लाज रख ले तू मुरली वालेया...
सुनियाँ अर्जां जद गिरधर ने, झटपट आन पधारे ने,
ऐसी किरपा किती पापी खिचखिच पल्ले हारे ने ।
साड़ी मुकी नईो मुक्के हंकार ने, सब वेख वेख करदे विचार ने,
आखे ‘कर्मा’ ‘सिकन्दर’ प्रेमियों, लाज द्रोपदी दी रखीं करतार ने,
लाज रख लई कृष्ण मुरार ने ॥