केहड़िया गल्ला दा तैनू वट वे

केहड़िया गल्ला दा तैनू वट वे,
मुहो बोल हारा वालिया ॥

रोज मैं तेरे दर ते आवा,
तरले कर कर तैनू मनावा,
कदे ना मिलाई तू आँख वें,
मुहो बोल हारा वालिया,
केहड़िया गल्ला दा.......

नैया मेरी डगमग डोले,
विच भवर दे खाए हिचकोले,
आके फड़ मेरा हथ वे,
मुहो बोल हारा वालिया,
केहड़िया गल्ला दा.......

मोर मुकुट मथे तिलक विराजे,
गल बेजंती माला साजे,
मुरली हथ विच फड़ वे,
मुहो बोल हारा वालिया,
केहड़िया गल्ला दा.......

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