हमें धन दौलत की चाह नहीं,
हम शिव के चेले है,
हम शिव के चेले है,
अपने मालिक भोले है,
हमें दुनिया की परवाह नहीं,
हम शिव के चेले है………
भस्म रमाए तन पर,
शिवशम्भु तो वन वन घूमे,
औघड़ रूप सजाकर अपनी,
मस्ती में वो झूमे,
लगा दे आसन जहाँ,
वहां लग जाते मेले है,
हमे धन दौलत की चाह नही,
हम शिव के चेले है………
महादेव के नाम की हमको,
ऐसी लगन लगी है,
हर हर नमः शिवाय की मन में,
अब तो अलख जगी है,
शिव रहते मेरे साथ यही,
हम नहीं अकेले है,
हमे धन दौलत की चाह नही,
हम शिव के चेले है……
स्वर्ग नहीं बैकुंठ नहीं,
ना मोक्ष की हमको आशा,
‘उर्मिल’ तो बस शिव शम्भू के,
दर्शन का है प्यासा,
शिव के सिवा कोई राह नहीं,
यहाँ बड़े झमेले है,
हमें धन दौलत की चाह नहीं,
हम शिव के चेले है,
हम शिव के चेले है,
अपने मालिक भोले है,
हमें दुनिया की परवाह नहीं,
हम शिव के चेले है………