हे दीन बन्धु दयालु

हे दीन बन्धु दयालु शंकर जानि जन अपनाइयो।
भव सागर पार उतार मोको निज समीप बसाईयो।।
हे दीन बन्धु दयालु शंकर जानि जन अपनाइयो।

जाने अजाने पाप मेरोहे नाथ क्षण नसाइयो,
कर जोरि जोरि औरी मांगो देव दर्श दिखाइयो,
हे दीन बन्धु दयालु शंकर जानि जन अपनाइयो।।

देवी सहाय सुनाय शिवजी को प्रेम सहित जो गावहीं,
छुट जाहि जगजोनि से सर्वदा सुख पावहीं,
हे दीन बन्धु दयालु शंकर जानि जन अपनाइयो,
भव सागर पार उतार मोको निज समीप बसाईयो,
हे दीन बन्धु दयालु शंकर जानि जन अपनाइयो।।
download bhajan lyrics (463 downloads)