एक बार माँ आजाओ घर तो मेरे,
मैंने चौंकी सजाई माँ तेरे लिए,
तेरी राह निहारु दर्श के लिए,
मैंने चौंकी सजाई माँ तेरे लिए।।
मैं हूँ निर्धन तेरा बालक,
मेरी जीवन नईया की तुम पालक,
माँ भोग लगा जाओ घर पे मेरे,
तेरी ज्योत जगाई माँ तेरे लिए।।
ना ही घर है ना ही दौलत,
मेरे पास नहीं है कोई शौहरत,
फिर भी आस लगी है तुम्हारे लिए,
मैंने चौंकी सजाई माँ तेरे लिए।।