बैठी पहाड़ों में माँ शारदा

बैठी पहाड़ों में माँ शारदा,
तेरी महिमा का क्या कहना,
है भुवन हजारों में......-2

लाल ध्वजा आल्हा उदल लहराए,
लाल चुनरिया मन को लुभाये,
लाल लाल चूड़ियां माँ को भाये,
लाल लाल फूलों की माला लुभाये,
सोला सृंगारों में माँ शारदा,
तेरी मूरत का क्या कहना,
तेरी सूरत हजारों में।

ऊँची ऊँची सीढ़ियां लम्बा लम्बा रस्ता,
माँ के दर्शन को मन है तरसता,
अम्बर में उड़ता है उड़न खटोला,
लाये ले जाये भक्तों का टोला,
रंग बहारों में माँ शारदा,
रंग बहारों में मेरी नजर नहीं हटती,
आनंद हजारों में।

विद्या की देवी माँ तुम वीणा पाणी,
महिमा तुम्हारी है विष्णु बखानी,
कंठ विराजो माँ स्वर महारानी,
करुणा मयी माँ जग कल्याणी,
कर दो कृपा मेरी माँ आये है शरण तेरी,
तेरे भक्त हजारों में,
हम भक्त हजारों में।

बैठी पहाड़ों में माँ शारदा,
तेरी महिमा का क्या कहना,
है भुवन हजारों में....
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