गणनाथ से हटकर मन

गणनाथ से हटकर मन कही जाता नही है,
सच पूछो तो उन जैसा कोई दाता नही है,
गणनाथ से हटकर मन कही जाता नही है,
सच पूछो तो उन जैसा कोई दाता नही है,
है सुख कही अगर समझ लो यही है,
है सुख कही अगर समझ लो यही है,
गणनाथ से हटकर मन कही जाता नही है,
सच पूछो तो उन जैसा कोई दाता नही है।

भक्तों की आशाओं को जो पूरी करते,
रिद्धि सिद्धि से वरदायक झोली भरते,
रौशनी से भर दिये आँखों के दिये,
ना उम्मीदें जीने की थी वो भी है जिये,
अनहोनी को होनी करते देवा यहाँ,
इनके दर पे आके झुकता सारा जहां,
झुकता सारा जहां..
इनके चरणो में दिल घबराता नही है,
इनके चरणो में दिल घबराता नही है,
गणनाथ से हटकर मन कही जाता नही है,
है सुख कही अगर समझ लो यही है,
है सुख कही अगर समझ लो यही है,
गणनाथ से हटकर मन कही जाता नही है,
सच पूछो तो उन जैसा कोई दाता नही है।

आते है सवाली कई सवाल लिये,
संग कई उलझनो के जाल लिये,
अंतर्यामी ने सबको जवाब दिये,
आये जो भी लौटे नये ख्वाब लिये,
अपनी करली का कर ले इकरार यहाँ,
इस मंदिर जैसा मिलता दरबार कहाँ,
दरबार कहाँ..
दिल खोलने में कोई शर्माता नही है,
दिल खोलने में कोई शर्माता नही है,
सच पूछो तो उन जैसा कोई दाता नही है,
है सुख कही अगर समझ लो यही है,
है सुख कही अगर समझ लो यही है,
जहाँ गणराया हो वहाँ विघ्न आता नही है,
उन बिन कोई दुखहर्ता कहलाता नही है,
है सुख कही अगर समझ लो यही है,
है सुख कही अगर समझ लो यही है,
है सुख कही अगर समझ लो यही है,
है सुख कही अगर समझ लो यही है।
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