मैं आरती तेरी गाऊं मेरे गणराज बिहारी।
मैं तुझको रोज मनाऊं ।
तुम गोरा घर जाए’ शिव जी के मन को भाए,
कभी मेरे घर भी आओ मेरे गणराज बिहारी,
मैं आरती तेरी गाऊं मेरे गणराज बिहारी,
कोई छप्पन भोग जी मावे कोई लड्डू बन भोग लगावे,
मैं तो दूर्वा ले आया जीमो गणराज बिहारी,
मैं आरती तेरी गाऊं मेरे गणराज बिहारी ,
तुम एकदंत गणराया मैं शरण तुम्हारी या,
या अब राखो लाज हमारी मेरे गणराज बिहारी,
मैं आरती तेरी गाऊं मेरे गणराज बिहारी ,
8लेखक पंडित संजय शर्मा नसरुल्लागंज