गोरी को नंद म्हारे आँगण आज आयो रे,
आँगण आज आयो बाबो, रिद्धि सिद्धि लायो रे,
भक्तो का , सिरताज बाबा , शम्भू सुतवारी रे,
गजानंद आया ,छाई , मन में खुशियां भारी रे,
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी रे,
सिर पे मुकुट सोहे , मुसे की सवारी रे,
सूंढ़ सुंढालो बाबो , बड़ो मतवालों रे,
खोल देवे बाबो म्हारो , किस्मत को तालो रे,
रण थम्बोर से , आयो गजानंद रे,
गजानंद करियो म्हारे , घर मे आनंद रे ,
चितांमण गणेश बाबो ,चिंता सबकी हरे रे,
शुभ और लाभ देवे , सबका मंगल करे रे,
मालवा का तीर्थ प्यारा ,है वो खजराना रे,
गोरी सूत गणेश का ,जग है दीवाना रे,
सिद्ध विनायक , मुम्बई का राजा रे,
आजा एक बार तू , इनकी शरण आजा रे,
जिसने भी प्रेम से , बाबा को बुलाया रे,
सुनके पुकार वो , बाबा चला आया रे,
पान सुपारी ,ध्वजा नारियल लाऊ रे,
लडुवंन का भोग ,बाबा तुमको लगाऊ रे,
गोरी का लाल प्यारा , शम्भू सुतवारी रे,
दिलबर के संग विक्रम ,शरण तुम्हारी रे ,
।। सिंगर विक्रम गुण्डिया राजगढ़।।
।।रचनाकार।।
दिलीप सिंह सिसोदिया