तुम तो मुरली वाले जन्म के कपटी,
जन्म के कपटी, जन्म के कपटी,
तुम तो बंसी वाले जन्म के कपटी,
तुम तो मुरली वाले जन्म के कपटी॥
औरो की गगरी नित उठवाते,
मेरी गगरी बीच धारा में पटकी,
तुम तो मुरली वाले जन्म के कपटी,
जन्म के कपटी, जन्म के कपटी,
तुम तो बंसी वाले जन्म के कपटी,
तुम तो मुरली वाले जन्म के कपटी॥
ओरो का माखन नित उठ खाते,
ओरो का माखन चोरी चोरी उठ खाते,
मेरो माखन अधरन पर अटकी,
तुम तो मुरली वाले जन्म के कपटी,
तुम तो बंसी वाले जन्म के कपटी॥
औरों की गईया नित उठ चराते,
मेरी गैया जंगल में भटकी,
तुम तो मुरली वाले जन्म के कपटी,
तुम तो बंसी वाले जन्म के कपटी॥
औरों को दर्शन नित उठ देते,
मेरी अखियां दर्शन को तरसी,
तुम तो मुरली वाले जन्म के कपटी,
तुम तो बंसी वाले जन्म के कपटी॥
औरों की पीड़ा पल में हरते,
मेरी वारी क्यों अखियां फेरी,
तुम तो मुरली वाले जन्म के कपटी,
जन्म के कपटी, जन्म के कपटी,
तुम तो बंसी वाले जन्म के कपटी,
तुम तो मुरली वाले जन्म के कपटी॥