हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारो,
बुद्धि विवेक की बारिश करके,
बुद्धि विवेक की बारिश करके,
मेरा भी जीवन तारो,
हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों।।
तुम बलशाली हो ग्रन्थ के ज्ञाता,
तुम बिन कोई भी पार ना पाता,
तेरी महिमा गाके हनुमत,
तेरी महिमा गाके हनुमत,
तर गए लाख हजारो,
हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों।।
सादर सेवा की भाव जगी है,
तेरे दर्श की आस लगी है,
हम है तुम्हरे भक्त वो हनुमत,
हम है तुम्हरे भक्त वो हनुमत,
ऐसे ना हमको बिसारो,
हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों।।
भक्त परदेसी के तुम हितकारी,
गावे ‘निरंजन’ महिमा तुम्हारी,
जीवन नैया बिच भंवर में,
जीवन नैया बिच भंवर में,
आके पार उतारो,
हनुमानजी कभी मेरे घर भी पधारों........