इधर अंजनी घर हनुमान जन्मे
उधर दशरथ घर भगवान जन्मे
महलों में खुशियाँ अयोध्या में आनंद
इधर पवन पिता झूम रहें मन में
हनुमान के रूप में खुद त्रिलोकी
राम के रूप में खुद श्री विष्णु
हनुमान खेलेंगे कुटिया में
श्रीराम खेलेंगे आँगन में
इधर अंजनी घर हनुमान जन्मे...
सोने के पालने में श्री राम झूले
मैया की बहियाँ में हनुमान झूले
वहाँ कौशल्या लोरी सुनाये
अंजनी दिखाए यहां मोह हनुमत में
इधर अंजनी घर हनुमान जन्मे...
महलों में रघुवर की बाल लीला
जंगल में मंगल करे मंगलकारी
देवों के हित को जनम दोनों का
दोनों की रूचि हरी के भजन में
इधर अंजनी घर हनुमान जन्मे...
दोनों के चरनन चूमे भक्त मंडल
एक गुरु एक चेला अलबेला
श्री राम बिन हनुमान अधूरे
हनुमान बिन श्री राम उलझन में
इधर अंजनी घर हनुमान जन्मे...