लंका पति की माया जिसके बल के आगे नहीं चली,
करो भजन उस राम भक्त के बोलो जय बजरंग बलि,
वो अनजान के पुत्र जिसे हनुमान नाम से सब जाने,
जो भजते अनजान सुध को वो उसकी महिमा पहचाने,
जिसकी बल बुद्धि पर असुरो की शक्ति भी नहीं चली,
करो भजन उस राम भक्त के बोलो जय बजरंग बलि,
हुआ हरण जब सीता जी का श्री राम से हुआ मिलन,
उसने प्रभु चरणों में अपना सौंप दिया सारा जीवन,
रघुराई की चरण शरण में जिसकी भगति शक्ति पली,
करो भजन उस राम भक्त के बोलो जय बजरंग बलि,
अध्भुत बल शक्ति धारे ही जब हनुमत पहुंचे लंका,
पता लगाया माँ सीता का पीट दियां अपना डंका
बल छाली रावण की सोने की लंका ही सोने की मगर जली
करो भजन उस राम भक्त के बोलो जय बजरंग बलि,