तेरे पूजन को भगवान,
बना मन मन्दिर आलीशान,
करूँ कैसे पूजन भगवान,
नहीं मुझ को पूजा का ज्ञान॥
किसने जानी तेरी माया,
किसने भेद तुम्हारा पाया,
हारे ऋषि मुनि कर ध्यान,
बना मन मन्दिर आलीशान,
तेरे पूजन को भगवान,
बना मन मन्दिर आलीशान॥
करें पूजा दुनीयाँ के लोग,
लगाते तुम्हें प्रेम से भोग,
चढ़ाते पुष्प पत्र पकवान,
करूँ कैसे पूजन भगवान,
नहीं मुझ को पूजा का ज्ञान॥
ना मेरे मन में ऐसा चाव,
ना ऐसी पूजा का ही भाव,
चाहूँ मैं पूजा एक महान्,
करूँ कैसे पूजन भगवान,
नहीं मुझ को पूजा का ज्ञान॥
हमारी पूजन की जो टेक,
निराली है दुनियाँ से एक,
हृदय दो का है एक मिलान,
करूँ कैसे पूजन भगवान,
नहीं मुझ को पूजा का ज्ञान॥
उसी की लगी हुई है चाह,
ना दूजी पूजा की परवाह,
मगर मैं हूँ उससे अनजान,
करूँ कैसे पूजन भगवान,
नहीं मुझ को पूजा का ज्ञान॥
तुम्हीं बतला दो उसका भेद,
मिट जाए मेरे मन का खेद,
बने हर शब्द तुम्हारा गान,
करूँ कैसे पूजन भगवान,
नहीं मुझ को पूजा का ज्ञान॥