तू ही है सबका दाता

तू ही है सबका दाता,
तू महावीर कहलाता,
जो ध्याये मन से तुमको,
वो मन चाहा फल पाता,
दर्शन तो हमें तुम दे देना,
भक्ति से भर देना।।

आशा के दीप जलाकर,
हम तम को दूर करेंगे,
रिक्त ह्रदय में धर्म स्नेह का,
अक्षय ज्ञान भरेंगे,
तेरे सन्मुख हम सब मिलकर,
ज्योतिर्मय दीप जलाएं,
तेरे पदचिन्हो पे चलकर,
हम पावन मार्ग पाएं,
दर्शन तो हमें तुम दे देना,
भक्ति से भर देना।।

मेरे मन मंदिर में,
प्रभु तेरा ही रूप समाए,
निशदिन उठकर प्रभु तेरे,
चरणों में शीश नवाएँ,
तुम ही हो पालनहारे,
तुम सबके एक सहारे,
हो दया तेरी हम पर भी,
तुम ही हो नाथ हमारे,
दर्शन तो हमें तुम दे देना,
भक्ति से भर देना।।

जब भटके मेरी नैया,
तो कैसे पार लगाऊं,
पर तुमको जब भी ध्याऊं,
खुद ही खुद मैं तर जाऊं,
कहे मित्र मंडल के बालक,
थोड़ी किरपा कर देना,
मिलजुल कर रहे सदा हम,
ऐसा ही वर तुम देना,
दर्शन तो हमें तुम दे देना,
भक्ति से भर देना।।

तू ही है सबका दाता,
तू महावीर कहलाता,
जो ध्याये मन से तुमको,
वो मन चाहा फल पाता,
दर्शन तो हमें तुम दे देना,
भक्ति से भर देना.....
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