यमुना तट पर वृन्दावन में,
कहना तुझ संग मैं भी नाचूं ।
ग्वाल बाल संग मैं भी मिल कर, तेरी चर्चा छेडू ।
गोपन के संग मिल कर मैं भी चन्दन लेप लगाऊं ॥
कस्तूरी की तिलक लगा कर हर पल तुझे निहारूं ।
तेरी जूठी माखन खा कर, कहना रोम रोम खिल जाऊं ॥
मधुबन में बंसी की धुन से पुलकित मैं हो जाऊं ।
तुझ से प्रेम रचा कर कृष्णा, मोह जाल को तोडू ॥
तेरी आलिंगन से कहना भवसागर को तारुं ।
सचिदानंद तेरी गीतामृत में डूब के मैं खो जाऊं ॥