ओ सांवरिया ले ले मोल,तने सेवक नित उठ चाहे,
तने सेवक नित उठ चाहे.....
ये दुनिया का नर नारी,सब आया सरन तिहारी,
ओ थारे भगता रो रमझोल,
तने सेवक नित उठ चाहे.....
में खुसी खुसी बिक जास्यूं,थारा कहया कहया हुकम बजासु,
चाए करले पेला क़ौल,
तने सेवक नित उठ चाहे.....
में नाज डेढपा खास्यु ,जमे भी भोग लगास्यूँ
चाए दिए तराजू तोल,
तने सेवक नित उठ चाहे.....
जगदीश दास जद अड़सी ,थाने ही आनो पड़सी,
थे घनी चलाई पोल
तने सेवक नित उठ चाहे.....