( पवन तनय संकट हरण
मंगल मूर्ति रूप
राम लखन सीता सहित
हदये बसहु सुर भूप। )
अंजनी का लाला बड़ा मतवाला,
हवा में उड़ता जाए रे मेरा राम दुलारा.....
इक दिन देखा मैंने अवधपुरी में,
अवधपुरी में रामा अवधपुरी में,
राम की लगन लगाए रे मेरा राम दुलारा,
हवा में उड़ता जाए रे मेरा राम दुलारा.....
एक दिन देखा मैंने सुमिरु पर्वत पे,
सुमिरु पर्वत पे रामा सुमिरु पर्वत पे,
संजीवनी बूटी लाए रे मेरा दुलारा,
हवा में उड़ता जाए रे मेरा राम दुलारा.....
एक दिन देखा मैंने लंका पुरी में,
लंका पुरी में रामा लंका पुरी में,
सोने की लंका जलाए रे मेरा राम दुलारा,
हवा में उड़ता जाए रे मेरा राम दुलारा.....
एक दिन देखा आकाशपुरी में,
आकाशपुरी में आकाशपुरी में,
सूरज को निगल जो डाले रे मेरा राम दुलारा,
हवा में उड़ता जाए रे मेरा राम दुलारा....