बूटी लेकर जल्दी अइयो

जल्दी जईयों पवनसुत वीर बूटी ले अइयो,
ले अइयो बूटी ले अइयो,
जल्दी जईयों पवनसुत वीर बूटी ले अइयो॥

बड़े बड़े योद्धा सभा दल में,
एक से एक सूरमा बल में,
पर तुमसा ना है कोई वीर बूटी ले अईयो,
ले अइयो बूटी ले अइयो,
जल्दी जईयों पवनसुत वीर बूटी ले अइयो॥

बूटी लेकर जल्दी अइयो,
लखनलाल के प्राण बचईयो,
आज बिलख रहे रघुवीर बूटी ले अईयो,
ले अइयो बूटी ले अइयो,
जल्दी जईयों पवनसुत वीर बूटी ले अइयो॥

रोते-रोते कहे रघुवीरा,
कछु तो बोल सुना मेरे वीरा,
अब कौन बंधावे धीर बूटी ले अईयो,
ले अइयो बूटी ले अइयो,
जल्दी जईयों पवनसुत वीर बूटी ले अइयो॥

अवधपुरी से तीन चले थे,
तीनों में से दो ही रहे थे,
कैसे अवध मैं जाऊं मेरे वीर बूटी ले अईयो,
ले अइयो बूटी ले अइयो,
जल्दी जईयों पवनसुत वीर बूटी ले अइयो॥
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