रावण समझा के कहता सुनो जानकी,
मेरी लंका है देखो सितारों जड़ी.....
मेरी सोने की लंका तुम्हारे लिए,
मेरी रानी पटरानी है दासी तेरी,
हट जा हट जा रे रावण में डरती नहीं,
ऐसे पापी के दर्शन मैं करती नहीं,
रावण समझा के कहता सुनो जानकी......
मैंने भोजन बनाए तुम्हारे लिए,
खालो खालो सिया मैं हूं तेरा पति,
हट जा हटजा रे रावण मैं डरती नहीं,
ऐसे पापी के दर्शन मैं करती नहीं,
रावण समझा के कहता सुनो जानकी......
मैंने लोटा भराय तुम्हारे लिए,
पीलो पीलो सिया मैं हूं तेरा पति,
हट जा हट जा रे रावण में डरती नहीं,
ऐसे पापी के दर्शन मैं करती नहीं,
रावण समझा के कहता सुनो जानकी......
मैंने सेजे बिछाई तुम्हारे लिए,
सोजा सोजा सिया मैं हूं तेरा पति,
हट जा हट जा रे रावण में डरती नहीं,
ऐसे पापी के दर्शन में करती नहीं,
रावण समझा के कहता.....
तुझको मालूम नहीं मेरे रघुवर पति,
तेरी लंका में कर देंगे वह खलबली,
पास आने की है तेरी हिम्मत नहीं,
एक तिनका हिलाने की हिम्मत नहीं......