सेईये सुसाहिब राम सो,
सुखद सुसील सुजान सुर सूचि, सुंदर कोटिक काम सो।।
सेईये सुसाहिब राम सो।
सारद शेष साधु महिमा कहें, गुन गन गायक साम सो,
सुमरि सप्रेम नाम जा सो मति, चाहत चंद्र ललाम सो,
सेईये सुसाहिब राम सो।
गमन बिदेस ना लेस क्लेस को, सकुचत सकृत प्रनाम सो,
साखी ताको बिदित विभीषण, बैठो है अविचल धाम सो,
सेईये सुसाहिब राम सो।
टहल सहल जन महल महल, जागत चारों जुग जाम सो,
देखत दोष ना खिजत रिझत, सुनि सेवक गुन ग्राम सो,
सेईये सुसाहिब राम सो।
जाके भजे तिलक तिलक भये, त्रिजग जोनि तनु ताम सो,
तुलसी ऐसे प्रभु ही भजे जो ना, ताहि बिधाता बाम सो,
सेईये सुसाहिब राम सो,
सुखद सुसील सुजान सुर सूचि, सुंदर कोटिक काम सो,
सेईये सुसाहिब राम सो......