शिव शम्भो शिव शम्भो,
शम्भो करतो सब संभव,
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्,
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
बड़े भाग्य से मिला है जीवन,
जीव जगत जल थल कण कण,
अंडज पिंडज जड़ चेतन,
सब में है शिवयम वंदन,
शिव शम्भो शिव शम्भो,
शम्भो करतो सब संभव॥
यह भवसागर की उथल पुथल,
और कर्मो के लेख अटल,
हर हर दानी ध्यानी ने,
तीन लोक शिव विश्व पटल,
शिव शम्भो शिव शम्भो,
शम्भो करतो सब संभव।
शिव शम्भो शिव शम्भो
शम्भो करतो सब संभव
शिव शम्भो शिव शम्भो
शम्भो करतो सब संभव
शिव शम्भो शिव शम्भो
शम्भो करतो सब संभव
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥