घोट के पी या छानी हुई पी,
या अपने भगतो के हाथो से तू पी,
रे पी ले भोले तू पी ले भोले,
बूटी ये प्रेम से बनाई है पर्वत केलाश से मंगवाई है,
प्रेम से पी ले आजा तीनो लोको के राजा भगतो ने प्रेम से चलाई है,
घोट के पी या छानी हुई पी,
या अपने भगतो के हाथो से तू पी,
रे पी ले भोले तू पी ले भोले,
गोरा जो साथ नही आएगी बुट्टी अधूरी रह जायेगे ,
संग में लाना चाहिए दर्शन दिखला चाहिए,
दोनों की शोभा बड जायगी,
घोट के पी या छानी हुई पी,
या अपने भगतो के हाथो से तू पी,
रे पी ले भोले तू पी ले भोले,
माना तू शंकर निराला है गले में सर्पो की माला है,
चाँद सा मुखड़ा तेरा वास पर्वत पे तेरा चारो तरफ उज्यारा है,
घोट के पी या छानी हुई पी,
या अपने भगतो के हाथो से तू पी,
रे पी ले भोले तू पी ले भोले,
शर्मा ये भोग लगता है चरणों में शीश निभाता है,
नाव भवर में मेरी आगे मर्जी है तेरी पार लगाना तुम को आता है,
घोट के पी या छानी हुई पी